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Blogumulus by Roy Tanck and Amanda Fazani

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रायपुर, छत्तीसगढ, India
सहीं या गलत बस नजरिये का फर्क है जो एक के लिए गलत है वो दूसरे के लिए सहीं हो सकती है और दो परस्पर विरोधी बातें भी एक ही समय पर सही हो सकती है । इसी विरोधाभास का नाम है दुनिया ।

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Sunday, May 16, 2010

सावधान! रिलायंस दे रहा है ग्राहकों को धोखा



रिलायंस अब धोखा देने पर उतर आया है । ग्राहकों को नए रिचार्ज पर चुना लगा रहा है ।

रिलायंस इंडिया मोबाइल(CDMA) का एक 249 रु का रिचार्ज आता है जिस पर RIM और Smart (GSM)पर ३० दिनों के लिए Unlimited असीमित बातें की जा सकती है ।

अब रिलायंस ने एक नया प्लान २९९ के रिचार्ज पर उतारा है जिस पर वो अनलिमिटेड लोकल काल्स का दावा कर रहा है पर साथ में ये कहा जा रहा है की अन्य मोबाइल कंपनियों पर लोकल काल के लिए 30 दिनों तक प्रतिदिन ३० मिनट दिए जायेंगे ।

आप कस्टमर केयर में इस प्लान के बारे में पूछे तो आप बताया जायेगा "रिलायंस के सभी लोकल नंबर Rim, Smart और Hello पर अनलिमिटेड(!!!) काल्स और अन्य के लिए ३० मिनट प्रतिदिन दिए जायेंगे जिस उसी दिन उपयोग करना होगा अगले दिन फिर ३० मिनट मिलेंगे ।

अब पेंच देखिये अगर आप ये रिचार्ज करा लें तो आपको पता चलेगा की अन्य के लिए तो आपको ३० मिनट मिलेंगे हर रोज पर रिलायंस नम्बर्स के लिए 2700 मिनट या 45 घंटे ही मिलेंगे । माना 45 घंटे कम नहीं है पर अगर आप पुराने 249 रु के अनलिमिटेड प्लान का उपयोग करते रहें है और दिन में 1.30 घंटे से अधिक बात करते हैं तो इस प्लान में 2700 मिनट के बाद आपको रिलायंस के कॉल के लिए भी 50 पैसे चुकाने होंगे ।

ये बुरा इसलिए है की आप अगर कस्टमर केयर में भी पूछें तो आपको रिलायंस नम्बर्स पे अनलिमिटेड फ्री कहा जाएगा पर इनकी अनलिमिटेड की परिभाषा 2700 मिनट लिमिटेड की है रिचार्ज करने के बाद पूछने पर बड़ी बेशर्मी से जवाब देते है की 2700 मिनट अनलिमिटेड है आपको उसी का उपयोग करना होगा ।

ये बात इसलिए बताई की और कोई धोखा ना खाए अपने परिचितों को भी सूचित कर दीजिये ।
Friday, April 23, 2010

आईपीएल बनाम नेता : क्या किसी पत्रकार में हिम्मत है ?

अभी दूरदर्शन पर नेताओ को आईपीएल को लेकर भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार चिल्लाते देखा एक बार देखने से ऐसा लगेगा की हाँ ये वाकई भ्रष्टाचार को भारत से ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है ।
पर क्या वाकई में ऐसा है ????????
विरोधाभास देखिये आइपीएल पर करीब 1800 करोड़ रूपये का घोटाला होने की सम्भावना है ।
पर स्विस बैंको में करीब २० लाख करोड़ रूपये या उससे भी ज्यादा भारतीय धन है उसका क्या ??
नेता अपने बच्चो की शादियों में करोड़ों फूँक रहे है या जनता के पैसे से मूर्तियाँ बनवा रहे है उनका क्या ??
बी एल अग्रवाल और अन्य नौकरशाहों के पास ५०० करोड़ की संपत्ति मिल रही है तो सभी नौकरशाहों के पास की संपत्ति कितनी होगी ??
इस पर कोई बात हो रही है नहीं भ्रष्टाचार गलत है इन नेताओ की नज़र में क्यूंकि वो दूसरों ने किया है शायद इनको दुःख इस बात का है कि ये मौका इनको इनको क्यूँ नहीं मिला ये घडियाली आंसू इसीलिए बह रहे हैं ।

अब बात पत्रकारों कि
क्या किसी में इतनी हिम्मत नहीं है है कि इसी आईपीएल के सन्दर्भ में पूछे कि नेताओ और नौकरशाही में फैले भयंकर भ्रष्टाचार के लिए सरकार कोई ठोस कदम क्यूँ नहीं उठा रही है ।
या उनको लगता है कि भारत में भ्रष्टाचार है ही नहीं ।
ये माना कि भ्रष्टाचार तुरंत ही ख़तम नहीं होगा इसमें समय लगेगा पर जब समय लगाने वाला है तो इसकी शुरुवात जल्दी से जल्दी बल्कि तुरंत नहीं होनी चाहिए?????
Thursday, April 22, 2010

सन्दर्भ : - हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों तक ही सिमटी रहेगी

हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों तक ही सिमटी रहेगी?


अभी बस कुछ ही दिनों पहले की बात है अवधिया जी ने ये सवाल ब्लॉग जगत से पूछा था ।

अब जवाब आप सभी के पास है चिट्ठाजगत या ब्लोगवाणी खोलिए और देखिये कितना गंद मचा हुआ है व्यक्तिगत और समूह बनाकर ब्लॉग के माध्यम से कीचड उछाला जा रहा है एक दूसरे पर या धर्म के नाम पर हिंदी ब्लॉग जगत का विश्व युद्ध चल रहा है और अब तो फर्जी नाम से टिप्पणियाँ भी कर रहे है लोग ।

ऐसे में हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों में भी रह पाएगी ??

विरोधाभास बस इतना है की जब तक हम अपने मन की गन्दगी दूर कर एक सकारात्मक सोच के साथ हिंदी ब्लोगिंग के उत्कर्ष के लिए नहीं जुट जाते हिंदी ब्लोगिंग को सम्मान नहीं मिलने वाला ।
Monday, April 12, 2010

चोर चोर चिल्लाते ब्लॉगर

बहुत से विरोधाभास है इस दुनिया में कुछ जो चुभती भी है । कहने को तो बहुत कुछ है पर सोचा की इसकी शुरुवात घर से मतलब ब्लॉग की दुनिया से ही क्यूँ ना करूँ ।
सबसे पहले तो ये कहना जरुरी है की मैं लेख की चोरी करने वालों के साथ नहीं हूँ और ना ही इसे उचित मानता हूँ ।

बड़े दिनों से ये देखता आ रहा हूँ की लगभग हर दिन ही ब्लॉग के लेख की चोरी पर हल्ला मचा ही रहता है कभी किसी कविता या लेख पर तो कभी मिलते जुलते डोमेन नेम को लेकर और आभासी दुनिया के कुछ तथाकथित स्वयंभू सत्यवादी उनमे जाने अनजाने उलझे ही रहते हैं और इनके पास ढेरों तर्क है । अब सभी ब्लोगर्स को या तो पहले ही पता होता है या थोड़े समय बाद पता चल ही जाता है कि यहाँ कुछ भी सुरक्षित नहीं है । बहुत से लोग ऐसे हैं जो यहाँ आदर्श माहौल चाहते है पर क्षमा कीजियेगा ये आभासी दुनिया भी हमारी दुनिया जैसी ही है और इसमें हर तरह के लोग है चोर भी ।

अब बात चोर कहने कि जिन्होंने कोई लेख चुराया है वो तो चोर है ही और मैं उनक समर्थन किसी रूप में नहीं करता ।
इसमें विरोधाभास ये है
विंडोज एक्सपी का मूल्य है लगभग 4000 रुपये, विंडोज 7 का 6000 और 12000 रु, ऑफिस 2003 का करीब 350 रु फोटोशोप का करीब 13455 रूपये

अब कितने लोग है जिनके पास खरीदे हुए ऑपरेटिंग सिस्टम हैं । तो जो शुरूआती जमीन जिस पर आप खड़े हुए है वो ही चोरी कि है तो दुसरो को चोर चोर चिल्लाना ??????????

इसमें वही सारे तर्क लागू होते हैं जो ब्लॉग के लेख चोरी होने पर । तो सोचियेगा जरुर इस नजर से ।

Saturday, April 3, 2010

कुछ बातें जो चुभती है

ऐसी बहुत सी बातें है जो चुभती है इन परस्पर विरोधी बातों को कहने का शायद यही एक मंच है मेरे पास

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