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- virodhabhas
- रायपुर, छत्तीसगढ, India
- सहीं या गलत बस नजरिये का फर्क है जो एक के लिए गलत है वो दूसरे के लिए सहीं हो सकती है और दो परस्पर विरोधी बातें भी एक ही समय पर सही हो सकती है । इसी विरोधाभास का नाम है दुनिया ।
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Friday, April 23, 2010
आईपीएल बनाम नेता : क्या किसी पत्रकार में हिम्मत है ?
11:47 AM |
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virodhabhas |
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अभी दूरदर्शन पर नेताओ को आईपीएल को लेकर भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार चिल्लाते देखा एक बार देखने से ऐसा लगेगा की हाँ ये वाकई भ्रष्टाचार को भारत से ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है ।
पर क्या वाकई में ऐसा है ????????
विरोधाभास देखिये आइपीएल पर करीब 1800 करोड़ रूपये का घोटाला होने की सम्भावना है ।
पर स्विस बैंको में करीब २० लाख करोड़ रूपये या उससे भी ज्यादा भारतीय धन है उसका क्या ??
नेता अपने बच्चो की शादियों में करोड़ों फूँक रहे है या जनता के पैसे से मूर्तियाँ बनवा रहे है उनका क्या ??
बी एल अग्रवाल और अन्य नौकरशाहों के पास ५०० करोड़ की संपत्ति मिल रही है तो सभी नौकरशाहों के पास की संपत्ति कितनी होगी ??
इस पर कोई बात हो रही है नहीं भ्रष्टाचार गलत है इन नेताओ की नज़र में क्यूंकि वो दूसरों ने किया है शायद इनको दुःख इस बात का है कि ये मौका इनको इनको क्यूँ नहीं मिला ये घडियाली आंसू इसीलिए बह रहे हैं ।
अब बात पत्रकारों कि
क्या किसी में इतनी हिम्मत नहीं है है कि इसी आईपीएल के सन्दर्भ में पूछे कि नेताओ और नौकरशाही में फैले भयंकर भ्रष्टाचार के लिए सरकार कोई ठोस कदम क्यूँ नहीं उठा रही है ।
या उनको लगता है कि भारत में भ्रष्टाचार है ही नहीं ।
ये माना कि भ्रष्टाचार तुरंत ही ख़तम नहीं होगा इसमें समय लगेगा पर जब समय लगाने वाला है तो इसकी शुरुवात जल्दी से जल्दी बल्कि तुरंत नहीं होनी चाहिए?????
पर क्या वाकई में ऐसा है ????????
विरोधाभास देखिये आइपीएल पर करीब 1800 करोड़ रूपये का घोटाला होने की सम्भावना है ।
पर स्विस बैंको में करीब २० लाख करोड़ रूपये या उससे भी ज्यादा भारतीय धन है उसका क्या ??
नेता अपने बच्चो की शादियों में करोड़ों फूँक रहे है या जनता के पैसे से मूर्तियाँ बनवा रहे है उनका क्या ??
बी एल अग्रवाल और अन्य नौकरशाहों के पास ५०० करोड़ की संपत्ति मिल रही है तो सभी नौकरशाहों के पास की संपत्ति कितनी होगी ??
इस पर कोई बात हो रही है नहीं भ्रष्टाचार गलत है इन नेताओ की नज़र में क्यूंकि वो दूसरों ने किया है शायद इनको दुःख इस बात का है कि ये मौका इनको इनको क्यूँ नहीं मिला ये घडियाली आंसू इसीलिए बह रहे हैं ।
अब बात पत्रकारों कि
क्या किसी में इतनी हिम्मत नहीं है है कि इसी आईपीएल के सन्दर्भ में पूछे कि नेताओ और नौकरशाही में फैले भयंकर भ्रष्टाचार के लिए सरकार कोई ठोस कदम क्यूँ नहीं उठा रही है ।
या उनको लगता है कि भारत में भ्रष्टाचार है ही नहीं ।
ये माना कि भ्रष्टाचार तुरंत ही ख़तम नहीं होगा इसमें समय लगेगा पर जब समय लगाने वाला है तो इसकी शुरुवात जल्दी से जल्दी बल्कि तुरंत नहीं होनी चाहिए?????
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समाज
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Thursday, April 22, 2010
सन्दर्भ : - हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों तक ही सिमटी रहेगी
1:31 PM |
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virodhabhas |
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हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों तक ही सिमटी रहेगी?
अभी बस कुछ ही दिनों पहले की बात है अवधिया जी ने ये सवाल ब्लॉग जगत से पूछा था ।
अब जवाब आप सभी के पास है चिट्ठाजगत या ब्लोगवाणी खोलिए और देखिये कितना गंद मचा हुआ है व्यक्तिगत और समूह बनाकर ब्लॉग के माध्यम से कीचड उछाला जा रहा है एक दूसरे पर या धर्म के नाम पर हिंदी ब्लॉग जगत का विश्व युद्ध चल रहा है और अब तो फर्जी नाम से टिप्पणियाँ भी कर रहे है लोग ।
ऐसे में हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों में भी रह पाएगी ??
विरोधाभास बस इतना है की जब तक हम अपने मन की गन्दगी दूर कर एक सकारात्मक सोच के साथ हिंदी ब्लोगिंग के उत्कर्ष के लिए नहीं जुट जाते हिंदी ब्लोगिंग को सम्मान नहीं मिलने वाला ।
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Monday, April 12, 2010
चोर चोर चिल्लाते ब्लॉगर
7:21 PM |
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virodhabhas |
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बहुत से विरोधाभास है इस दुनिया में कुछ जो चुभती भी है । कहने को तो बहुत कुछ है पर सोचा की इसकी शुरुवात घर से मतलब ब्लॉग की दुनिया से ही क्यूँ ना करूँ ।
सबसे पहले तो ये कहना जरुरी है की मैं लेख की चोरी करने वालों के साथ नहीं हूँ और ना ही इसे उचित मानता हूँ ।
बड़े दिनों से ये देखता आ रहा हूँ की लगभग हर दिन ही ब्लॉग के लेख की चोरी पर हल्ला मचा ही रहता है कभी किसी कविता या लेख पर तो कभी मिलते जुलते डोमेन नेम को लेकर और आभासी दुनिया के कुछ तथाकथित स्वयंभू सत्यवादी उनमे जाने अनजाने उलझे ही रहते हैं और इनके पास ढेरों तर्क है । अब सभी ब्लोगर्स को या तो पहले ही पता होता है या थोड़े समय बाद पता चल ही जाता है कि यहाँ कुछ भी सुरक्षित नहीं है । बहुत से लोग ऐसे हैं जो यहाँ आदर्श माहौल चाहते है पर क्षमा कीजियेगा ये आभासी दुनिया भी हमारी दुनिया जैसी ही है और इसमें हर तरह के लोग है चोर भी ।
अब बात चोर कहने कि जिन्होंने कोई लेख चुराया है वो तो चोर है ही और मैं उनक समर्थन किसी रूप में नहीं करता ।
इसमें विरोधाभास ये है
विंडोज एक्सपी का मूल्य है लगभग 4000 रुपये, विंडोज 7 का 6000 और 12000 रु, ऑफिस 2003 का करीब 350 रु फोटोशोप का करीब 13455 रूपये
अब कितने लोग है जिनके पास खरीदे हुए ऑपरेटिंग सिस्टम हैं । तो जो शुरूआती जमीन जिस पर आप खड़े हुए है वो ही चोरी कि है तो दुसरो को चोर चोर चिल्लाना ??????????
इसमें वही सारे तर्क लागू होते हैं जो ब्लॉग के लेख चोरी होने पर । तो सोचियेगा जरुर इस नजर से ।
सबसे पहले तो ये कहना जरुरी है की मैं लेख की चोरी करने वालों के साथ नहीं हूँ और ना ही इसे उचित मानता हूँ ।
बड़े दिनों से ये देखता आ रहा हूँ की लगभग हर दिन ही ब्लॉग के लेख की चोरी पर हल्ला मचा ही रहता है कभी किसी कविता या लेख पर तो कभी मिलते जुलते डोमेन नेम को लेकर और आभासी दुनिया के कुछ तथाकथित स्वयंभू सत्यवादी उनमे जाने अनजाने उलझे ही रहते हैं और इनके पास ढेरों तर्क है । अब सभी ब्लोगर्स को या तो पहले ही पता होता है या थोड़े समय बाद पता चल ही जाता है कि यहाँ कुछ भी सुरक्षित नहीं है । बहुत से लोग ऐसे हैं जो यहाँ आदर्श माहौल चाहते है पर क्षमा कीजियेगा ये आभासी दुनिया भी हमारी दुनिया जैसी ही है और इसमें हर तरह के लोग है चोर भी ।
अब बात चोर कहने कि जिन्होंने कोई लेख चुराया है वो तो चोर है ही और मैं उनक समर्थन किसी रूप में नहीं करता ।
इसमें विरोधाभास ये है
विंडोज एक्सपी का मूल्य है लगभग 4000 रुपये, विंडोज 7 का 6000 और 12000 रु, ऑफिस 2003 का करीब 350 रु फोटोशोप का करीब 13455 रूपये
अब कितने लोग है जिनके पास खरीदे हुए ऑपरेटिंग सिस्टम हैं । तो जो शुरूआती जमीन जिस पर आप खड़े हुए है वो ही चोरी कि है तो दुसरो को चोर चोर चिल्लाना ??????????
इसमें वही सारे तर्क लागू होते हैं जो ब्लॉग के लेख चोरी होने पर । तो सोचियेगा जरुर इस नजर से ।
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Saturday, April 3, 2010
कुछ बातें जो चुभती है
1:04 PM |
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virodhabhas |
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ऐसी बहुत सी बातें है जो चुभती है इन परस्पर विरोधी बातों को कहने का शायद यही एक मंच है मेरे पास
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