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- सहीं या गलत बस नजरिये का फर्क है जो एक के लिए गलत है वो दूसरे के लिए सहीं हो सकती है और दो परस्पर विरोधी बातें भी एक ही समय पर सही हो सकती है । इसी विरोधाभास का नाम है दुनिया ।
सहचर
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Thursday, April 22, 2010
सन्दर्भ : - हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों तक ही सिमटी रहेगी
हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों तक ही सिमटी रहेगी?
अभी बस कुछ ही दिनों पहले की बात है अवधिया जी ने ये सवाल ब्लॉग जगत से पूछा था ।
अब जवाब आप सभी के पास है चिट्ठाजगत या ब्लोगवाणी खोलिए और देखिये कितना गंद मचा हुआ है व्यक्तिगत और समूह बनाकर ब्लॉग के माध्यम से कीचड उछाला जा रहा है एक दूसरे पर या धर्म के नाम पर हिंदी ब्लॉग जगत का विश्व युद्ध चल रहा है और अब तो फर्जी नाम से टिप्पणियाँ भी कर रहे है लोग ।
ऐसे में हिन्दी ब्लोगिंग आखिर कब तक संकलकों में भी रह पाएगी ??
विरोधाभास बस इतना है की जब तक हम अपने मन की गन्दगी दूर कर एक सकारात्मक सोच के साथ हिंदी ब्लोगिंग के उत्कर्ष के लिए नहीं जुट जाते हिंदी ब्लोगिंग को सम्मान नहीं मिलने वाला ।

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5 comments:
अच्छी विवेचना / वैकल्पिक मिडिया के रूप में ब्लॉग और ब्लोगर के बारे में आपका क्या ख्याल है ? मैं आपको अपने ब्लॉग पर संसद में दो महीने सिर्फ जनता को प्रश्न पूछने के लिए ,आरक्षित होना चाहिए ,पर अपने बहुमूल्य विचार कम से कम १०० शब्दों में रखने के लिए आमंत्रित करता हूँ / उम्दा देश हित के विचारों को सम्मानित करने की भी वयवस्था है / आशा है आप अपने विचार जरूर व्यक्त करेंगें /
कई ब्लॉग तो ऐसे हैं जिन्हें अभी इन दोनो एग्रीगेटरों के मंच पर प्रदर्शित होने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
आपसे सहमत
राष्ट्रवाद की नायिका फ़िरदौस ख़ान की बदौलत आज बहुत से 'लोग' सही मार्ग पार आ गए हैं.
सबसे पहले अपनी बहन (फ़िरदौस ख़ान) के ख़िलाफ़ नीचता की हद तक गिरने वाले सलीम खान ने अपना मार्ग बदलते हुए सुधरने की कसम खा ली और लगे हाथ ब्लॉग पर एक लेख- 'स्वच्छ संदेश' अब भारतीय मुस्लिम समाज की आवाज़ भी बनेगा लिखकर इसकी घोषणा भी कर डाली.
अब एजाज़ अहमद इदरीसी भी सुधरने की बात कर रहे हैं.
उन्होंने भी पोस्ट लिखकर सुधरने का दावा किया है.
उनका कहना है-
मुझे किसी ब्लॉगर ने बहकाया था; ब्लोगिंग की अहमियत मैंने अब पहचानी है; मैं अब स्वस्थ ब्लोगिंग ही करूँगा: EJAZ AHMAD
इस लेख से साफ़ पता चलता है कि फ़िरदौस जी की राष्ट्रवादिता की आवाज़ को दबाने के लिए यह घृणित षड्यंत्र रचा गया था. क्या ये सब सुधर गए हैं? अगर सुधर गए हैं तो क्या इन्होंने अपनी बहन फ़िरदौस से माफ़ी मांगी है?
इसके पीछे कौन है? सभी जानते हैं.
ऐसा तो केवल तिलाबानी मानसिकता के लोग ही कर सकते हैं, कोई भारतीय नहीं.
कहीं ऐसा तो नहीं- नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली.
आश्चर्य की बात है कि अपनी बेशर्मी के लिए सलीम भाई और उनकी चंडाल चौकड़ी ने अपनी बहन से क्षमा तक नहीं मांगी.
इसी चंडाल चौकड़ी के Dr. Ayaz ahmad , EJAZ AHMAD IDREESI, zeashan zaidi, Aslam Qasmi ने जगह-जगह जाकर घृणित कमेन्ट किए, जो इनके ब्लोगों पर देखे जा सकते हैं.
जिसे बहन कहते हैं, उसी के विरुद्ध घृणित कमेन्ट करते हैं. जिसके ऐसे भाई हों उसे दुश्मनों की क्या ज़रूरत है?
इन लोगों ने अपनी बहन के ख़िलाफ़ जो शर्मनाक कमेन्ट लिखे हैं, क्या ये उसे डिलीट करेंगे?
dharm ke naam par coments karne walon ko sahi mayne me dharm ka arth bhi nahi pata hota...aise sthaan par bhi jati-dharm ke naam par tika-tippni uchit nahi.....hum sabhi ka to ek hi dharm hona chahiye....blogers dharm....jis par chalte huye hum samkalin muddon par charcha karen ya apni shuddh kalpana ko darshayen...
आपसे सहमत ।
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