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सहीं या गलत बस नजरिये का फर्क है जो एक के लिए गलत है वो दूसरे के लिए सहीं हो सकती है और दो परस्पर विरोधी बातें भी एक ही समय पर सही हो सकती है । इसी विरोधाभास का नाम है दुनिया ।

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Friday, April 23, 2010

आईपीएल बनाम नेता : क्या किसी पत्रकार में हिम्मत है ?

अभी दूरदर्शन पर नेताओ को आईपीएल को लेकर भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार चिल्लाते देखा एक बार देखने से ऐसा लगेगा की हाँ ये वाकई भ्रष्टाचार को भारत से ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है ।
पर क्या वाकई में ऐसा है ????????
विरोधाभास देखिये आइपीएल पर करीब 1800 करोड़ रूपये का घोटाला होने की सम्भावना है ।
पर स्विस बैंको में करीब २० लाख करोड़ रूपये या उससे भी ज्यादा भारतीय धन है उसका क्या ??
नेता अपने बच्चो की शादियों में करोड़ों फूँक रहे है या जनता के पैसे से मूर्तियाँ बनवा रहे है उनका क्या ??
बी एल अग्रवाल और अन्य नौकरशाहों के पास ५०० करोड़ की संपत्ति मिल रही है तो सभी नौकरशाहों के पास की संपत्ति कितनी होगी ??
इस पर कोई बात हो रही है नहीं भ्रष्टाचार गलत है इन नेताओ की नज़र में क्यूंकि वो दूसरों ने किया है शायद इनको दुःख इस बात का है कि ये मौका इनको इनको क्यूँ नहीं मिला ये घडियाली आंसू इसीलिए बह रहे हैं ।

अब बात पत्रकारों कि
क्या किसी में इतनी हिम्मत नहीं है है कि इसी आईपीएल के सन्दर्भ में पूछे कि नेताओ और नौकरशाही में फैले भयंकर भ्रष्टाचार के लिए सरकार कोई ठोस कदम क्यूँ नहीं उठा रही है ।
या उनको लगता है कि भारत में भ्रष्टाचार है ही नहीं ।
ये माना कि भ्रष्टाचार तुरंत ही ख़तम नहीं होगा इसमें समय लगेगा पर जब समय लगाने वाला है तो इसकी शुरुवात जल्दी से जल्दी बल्कि तुरंत नहीं होनी चाहिए?????

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